पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
शिव चालीसा भगवान भोलेशंकर को समर्पित है। इस शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से महादेव आशीर्वाद प्रदान करते है और आपके जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करते है।
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक Shiv chaisa फैली उजियारी॥
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
अर्थ: हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।
चंदन मृगमद सोहै भाले Shiv chaisa शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥